2. हड़प्पा सभ्यता
सिंधु सभ्यता आद्य ऐतिहासिक काल से सम्बद्ध है, कारण इसकी चित्रत्मक लिपि अभी तक नहीं पढ़ी जा सकी है। इस सभ्यता का प्रथम अवशेष हड़प्पा से मिला है, जिसकी खोज का श्रेय दयाराम साहनी को जाता है।
इस सभ्यता की मुख्य प्रजातियाँ अल्पाइन, मंगोलियन, भूमध्यसागरीय (सर्वाधिक) और प्र ोटोआस्ट्रेलायड थे।
इस सभ्यता का पश्चिमी पुरास्थल सुत्कागेनडोर (बलूचिस्तान), पूर्वी पुरास्थल आलमगीर पुर (उत्तर प्रदेश), उत्तरी पुरास्थल मांदा (जम्मू-कश्मीर, अखनूर जिला) एवं दक्षिणी पुरास्थल दैमाबाद (महाराष्ट्र-अहमदनगर जिला) है।
हड़प्पा सभ्यता का विस्तार त्रिभुजाकार था एवं उसका क्षेत्रफल 12, 99,600 वर्ग किमी था।
हड़प्पा सभ्यता एक ‘नगरीय सभ्यता’ थी। किन्तु इस काल के मात्र 6 नगर परिपक्व अवस्था में मिलते हैं, ये हैं- हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, चन्हूदड़ो, लोथल, कालीबंगा एवं बनवाली।
पिग्गट ने हड़पा एवं मोहनजोदड़ो को एक विस्तृत साम्राज्य की जुड़वा राजधानी कहा है।
व्हीलर ने हड़प्पा सभ्यता को सुमेरियन सभ्यता का उपनिवेश कहा है।
सर जॉन मार्शल ‘सिंधु सभ्यता’ शब्द का प्रयोग करने वाले पहले पुरातत्वविद् थे।
हड़प्पा से एक स्नानागार, एक श्रमिक आवास, शंख का बन ा बैल, पीतल का बना इक्का, ईंटों के वृत्ताकार चबूतरे एवं संमाधि आर-37 (कब्रिस्तान) मिला है।
मोहनजोदड़ो से एक अन्नागार, एक विशाल स्नानागार, सभाभवन, पुरोहित आवास, कुम्भकारों के भट्ठों के अवशेष, सूती कपड़ा, हाथी का कपाल खण्ड, सीपी की बनी हुई पटरी एवं कांसे की नृत्यरत नारी की मूर्ति के अवशेष मिले हैं।
राणा घुण्डई के निम्न स्तरीय धरातल की खुदाई में ‘घोड़े के दाँत’ के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
चन्हुदड़ो से गुड़ियों के निर्माण हेतु कारखाने एवं लिपिस्टिक के अवशेष मिले हैं।
लोथल से बंदरगाह (24X36 मीटर विस्तृत एवं 3-3 मीटर गहरी), फारस की मुहरें, युगल शवाधान, घोड़ों की लघु मृण्मूर्तियाँ एवं अग्निवेदिका के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
कालीबंगा में प्राक् सैंधव संस्कृति की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि एक जुते हुए खेत का साक्ष्य है। यहीं से यज्ञ, हवन कुंड के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।
रेडियो कार्बन C 14 जैसी नवीन विश्लेषण पद्धति के द्वारा हड़प्पा सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2350 ई.पू. से 1750 ई.पू. मानी गयी है।
धौलावीरा तीन खण्डों में विभाजित है। यहाँ से स्टेडियम एवं जलाशय के अवशेष मिले हैं।
हड़प्पा सभ्यता का नगर नियोजन आयताकार आकृति में किया गया था।
यह नगर दो भागों में विभाजित था। उन लोगों ने नगरों एवं घरों के विन्यास के लिए ग्रीड पद्धति अपनाई।
इनके घरों की खिड़कियाँ एवं दरवाजे मेन सड़क की ओर नहीं खुलते थे, किन्तु लोथल इनका अपवाद था।
लोथल एवं रंगपुर से चावल एवं बाजरे के उत्पादन का साक्ष्य मिला है।
बनवाली में मिट्टी का बना हुआ एक हल का खिलौना मिला है।
सम्भवतः हड़प्पा सभ्यता के लोग ही सर्वप्रथम कपास उगाना प्रारम्भ किये।
हड़प्पा सभ्यता की मुख्य फसलें जौ एवं गेहूँ थीं।
लोथल एवं रंगपुर से घोड़े की मृण्मूर्तियाँ एवं सुरकोतड़ा से अस्थिपंजर मिला है।
मेसोपोटामिया के मुँहरों पर वर्णित ‘मेलुहा’ शब्द सिंधु क्षेत्र का प्राचीन भाग है। दिलमुन एवं माकन व्यापारिक केन्द्र मेलुहा एवं मेसोपोटामिया के बीच स्थित थे।
हड़प्पा सभ्यता में व्यापक मात्र में मृणमूर्तियाँ मिलती हैं, जिससे यह अनुमान लगाया जाता है कि हड़प्पा सभ्यता का समाज मातृसत्तात्मक था।
इस सभ्यता में प्रकृति पूजा, शिव पूजा एवं कुबड़ वाला साँढ़ का विशेष प्रचलन था।
हड़प्पावासी ऊनी एवं सूती वस्त्र दोनों का प्रयोग करते थे।
मनोरंजन के लिए हड़प्पावासी शिकार करना, मछली पकड़ना, पशु-पक्षियों को आपस में लड़ाना एवं पासा खेलना आदि साधनों का प्रयोग करते थे।
हड़प्पा सभ्यता में पूर्ण समाधिकरण, आंशिक समाधिकरण एवं दाहसंस्कार तीनों का प्रचलन था।
हड़प्पा सभ्या की अधिकांश मोहरें सेलखड़ी की बनी होती थीं।
हड़प्पा सभ्यता के पतन का सबसे प्रभावी कारण बाढ़ को माना जाता है।
गार्डन चाइल्ड एवं ह्नीलर के अनुसार हड़प्पा सिन्धु सभ्यता के प्रमुख स्थल तथा खोजकर्ता
सभ्यता का विनाश विदेश (आर्य) आक्रमण से स्थल अवस्थिति खोजकर्ता वर्ष नदी हुआ।
हड़प्पा सभ्यता से हाथी एवं प्रत्यक्षतः घोड़े का हड़प्पा मोंटगोमरी (पाकिस्तान) दयाराम साहनी, 1921 रावी अवशेष नहीं प्राप्त हुआ है। मोहनजोदड़ो लरकाना (पाकिस्तान) राखलदासा बनर्जी 1922 सिन्धु
हड़प्पा सभ्यता में चाक निर्मित मृदभाण्ड बनाये रोपड़ पंजाब यज्ञदत्त शर्मा 1953 सतलज जाते थे जो गुलाबी रंग के होते थे और इन लोथल अहमदाबाद (गुजरात) रंगनाथ राव 1954 भोगवा नदी पर काले रंग से ज्यामितीय डिजाइन बनाये कालीबंगा गंगानगर (राजस्थान) बी.बी.लाल 1961 घग्घर जाते थे।
विभिन्न क्षेत्रों से आयात किये गये कच्चे माल
कच्चा माल | क्षेत्र |
टिन | अफगानिस्तान, ईरान |
ताँबा | खेतड़ी (राजस्थान), बलूचिस्तान |
चाँदी | ईरान, अफगानिस्तान |
सोना | अफगानिस्तान, फारस, द- भारत |
लाजवर्द | बदख्शा, मेसोपोटामिया |
सेलखड़ी | बलूचिस्तान, राजस्थान |
नीलरत्न | बदख्शां |
सीसा | ईरान, अफगानिस्तान, राजस्थान |
शिलाजीत | हिमालय क्षेत्र |
• कबीला का प्रधान ‘राजा’ होता था, जो युद्ध में कबीला का नेतृत्व
