19. मुहावरे और कहावत
19. मुहावरे और कहावत
मुहावरे
‘मुहावरा’ शब्द का अर्थ है ‘अभ्यास या बातचीत’। हिन्दी का यह मुहावरा शब्द अरबी भाषा के ‘मुहावर’ शब्द का परिवर्तित रूप है। मुहावरा एक ऐसा वाक्यांश है जो सामान्य अर्थ का बोधन कराकर किसी विलक्षण अर्थ का बोध कराता है।
मुहावरा और कहावत में अन्तर
वस्तुतः दोनों में अन्तर है। मुहावरे तो शब्दों के लाक्षणिक प्रयोग है। कहावत एक पूरे वाक्य के रूप में होती है जिसका आधार कोई कहानी अथवा चिरसत्य अथवा घटना विशेष होता है। किसी विषय को मात्र स्पष्ट करने के लिए कहावतों का प्रयोग होता है तथा साथ ही कहावतों का प्रयोग बिलकुल स्वतन्त्र रूप में होता है। किसी कथन की पुष्टि के लिए अलग से उदाहरण के तौर पर कहावत का प्रयोग होता है।
हिन्दी के प्रचलित मुहावरे, अर्थ एवं उनके प्रयोग
1. अंगूठे चूमना: (चापलूसी करना)- इस समय विद्वान् पुरुष भी मंत्रियों के अंगूठे चूमते हैं।
2. अंगूठा दिखाना: (समय पर धोखा देना)-उसने अपना काम निकाल लिया, परन्तु जब मुझे जरूरत पड़ी तो अंगूठा दिखा दिया।
3. अंगूठा नचानाः (चिढ़ाना)-अपने गुरू के सामने अंगूठा नचाना ठीक नहीं।
4. अंगूठी का नगीना: (जोड़ा मिलना)-सीताजी राम की अंगूठी का नगीना ही थीं।
5. अंधेरे मुँह: (प्रातःकाल)-वह अंधेरे मँुह ही मेरे घर आ पहुंचा।
6. अंक भरना: (स्नेह से लिपटा लेना)-धनिया ने अपने बेटे को देखते ही अंक भर लिया।
7. अंगारों पर पैर रखना: (जानबूझकर हानिकारक कार्य करना)-अपने माता-पिता की तुम अकेली सन्तान हो_ इसलिए तुम्हें ऐसे अंगारों पर पैर नहीं रखना चाहिए।
8. अंगारों पर लोटना: (दुख सहना, डाह होना)-वह बचपन से ही अंगारों पर लोटता रहा है।दूसरे की उन्नति देखकर अंगारों पर लोटना ठीक नहीं।
9. अंड-बंड कहना: (बुरा-भला कहना)-अंड-बंड कहोगे तो मारकर मुंह तोड़ दूंगा।
10. अन्धा बनना: (धोखा देना)-माया सबको अन्धा बनाती है, इसलिए माया के पीछे यदि तुम अन्धे बन गये तो क्या हुआ।
11. अन्धे की लकड़ी: (एकमात्र सहारा)-वह अपने मां-बाप के लिए अन्धे की लकड़ी है।
12. अन्धेर नगरी: (जहां धांधली का बोलबाला हो)-अरे भाई यही मिट्टी का तेल पहले एक रुपया लीटर था, बीच में एक रुपया चालीस पैसा लीटर हुआ और आज ढाई रुपया लीटर हो गया, लगता है दुकान नहीं अन्धेर नगरी ही है।
13. अक्ल का दुश्मन: (बेवकूफ)-उसने इतना समझाया, फिर भी वह समझता नहीं, क्योंकि वह तो अक्ल का दुश्मन है।
14. अड़ियल टट्टू: (अटक-अटककर अथवा मुंह जोहकर काम करनेवाला)-वह तो ऐसा अड़ियल टट्टू नौकर है कि बिना कहे कुछ करता ही नहीं, यों ही बैठा रहता है।
15. अक्ल पर पत्थर पड़ना: (बुद्धिभ्रष्ट होना)-लगता है तुम्हारी अक्ल पर पत्थर पड़ गया है, तभी तुम उस हत्यारे से उलझ रहे हो।
16. अक्ल की दुम: (अपने को बुद्धिमान् समझने वाला)-साधारण गुणा-भाग तो आता नहीं, लेकिन अक्ल की दुम मोहन साइन्स पढ़ना चाहता है।
17. अपना उल्लू सीधा करना: (अपना काम निकालना)-मोहन अपना उल्लू सीधा करने के लिए गधे को भी बाप कह सकता है।
18. अपना किया पाना: (कर्म का फल भोगना)-वह अपना किया पा रहा है।
19. अपनी खिचड़ी अलग पकाना: (स्वार्थी होना)-यदि सभी लोग अपनी खिचड़ी अलग पकाएं तो देश का उत्थान कैसे होगा।
20. अपने पांव आप कुल्हाड़ी मारना: (संकट मोल लेना)-राम से झगड़ा कर श्याम ने अपने पांव आप कुल्हाड़ी मार ली।
21. अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना: (अपनी प्रशंसा आप करना)-महान् पुरुष अपने मुंह मियां मिट्ठू नहीं बनते।
22. अपने पैरों खड़ा होना: (स्वावलम्बी होना)-आज के नवयुवकों को अपने पैरों खड़ा होना सीखना चाहिए।
23. आस्तीन का सांप: (कपटी मित्र)-मोहन आस्तीन का सांप है, इसलिए उससे सावधान रहना चाहिए।
24. आठ-आठ आंसू रोना: (बुरी तरह पछताना)-यदि इस समय तुमने अपनी जिन्दगी नहीं सुधार ली, तो बाद में आठ-आठ आंसू रोना पड़ेगा।
25. आसमान टूट पड़ना: (संकट पड़ना)-दो चार लोगों को खिला देने से ऐसा क्या आसमान टूट पड़ा कि पश्चात्ताप कर रहे हो?
26. इधर उधर की हांकना: (व्यर्थ गप्पें मारना)-श्याम का अधिकांश समय इधर उधर की हांकने में ही व्यतीत होता है, फिर वह कब काम करता है?
27. ईट का जवाब पत्थर से देना: (किसी की दुष्टता का करारा जवाब देना)-दुष्टों की ईंट का जवाब पत्थर से देना चाहिए।
28. ईद का चांद होना: (बहुत दिनों पर दिखना)-आजकल राम ईद का चांद हो गया है।
29. उलटी गंगा बहाना: (प्रतिकूल कार्य करना)-पुरुष का साड़ी पहनकर रहना उलटी गंगा बहाना है।
30. उन्नीस-बीस होना: (एक का दूसरे से कुछ अच्छा होना)-दोनों लड़कियां बस उन्नीस-बीस हैं।
31. एक आंख से देखना: (बराबर मानना)-ईश्वर राजा और रंक सबको एक आंख से देखता है।
32. एक का तीन बनाना: (नाजायज नफा लूटना)-सामान का कन्ट्रोल होने पर व्यापारी एक का तीन बनाते हैं।
33. एक लाठी से सबको हांकना: (उचित-अनुचित का विचार किये बिना व्यवहार करना)-एक लाठी से सबको हांकना उचित नहीं है।
34. कलेजे पर सांप लोटना: (ईर्ष्या करना)-दूसरे की उन्नति देखकर तुम्हारे कलेजे पर सांप क्यों लोटता है?
35. कुत्ते की मौत मरना: (बुरी तरह मरना)-वह कुत्ते की मौत मरा।
36. कलेजा ठंडा होना: (संतोष होना)-अपने दुश्मन को मरते देखकर उसका कलेजा ठंडा हुआ।
37. कागजी घोड़े दौड़ानाः (केवल लिखा पढ़ी करना, पर कुछ काम की बात न होना) आजकल सरकारी कार्यालयों में केवल कागजी घोड़े छोड़ते हैं।
38. किस खेत की मूली: (अधिकारहीन)-सभी मेरे आदेश का पालन करते हैं, तुम किस खेत की मूली हो?
39. खरी खोटी सुनाना: (भला-बुरा कहना)-मैंने उसे कितनी बार खरी-खोटी सुनायी, लेकिन वह मेरी बात नहीं मानता।
40. खून पसीना एक करना: (कठिन परिश्रम)-मैंने खून पसीना एक कर इतना धन अर्जित किया है।
41. खटाई में पड़ना: (झमेले में पड़ना)-वहां जाने का निर्णय हो चुका था, परन्तु जाने के समय गाड़ी के खराब हो जाने से सारा काम खटाई में पड़ गया।
42. खाक छानना: (भटकना)-पढ़-लिखकर भी नौकरी के लिए वह खाक छानता रहा।
43. गाल बजाना: (डींग हांकना)-जो काम करना है वह करो, गाल बजाने से कोई काम नहीं होता है।
44. गूलर का फूल होना: (लापता होना)-आप तो गूलर के फूल हो गये थे कि दिखाई ही नहीं देते थे।
45. गड़े मुर्दे उखाड़ना: (दबी हुई बात फिर से उभारना)-अरे भाई, जो हुआ सो हुआ, अब गड़े मुर्दे उखाड़ने से क्या लाभ?
46. गुदड़ी में लाल: (गरीब के घर में गुणवान् का पैदा होना)-अपने परिवार में डा-राजेन्द्र प्रसाद सचमुच ही गुदड़ी के लाल थे।
47. घड़ों पानी पड़ जाना: (अत्यन्त लज्जित होना)-वह परीक्षा में नकल करके प्रथम श्रेणी प्राप्त करता था, लेकिन इस बार जब नकल करते समय पकड़ा गया तो बच्चू पर घड़ों पानी पड़ गया।
48. घर का न घाट का: (कहीं का नही)-वह न तो पढ़ना-लिखना जानता है और न उसे कोई काम ही करने आता है, ऐसा घर का न घाट का आदमी रखकर क्या होगा।
49. घोड़े बेचकर सोना: (बेफिक्र होना)- जब घर का सब काम हो गया, तो अब क्या घोड़े बेचकर सोओ।
50. घर बसाना: (विवाह करना)-नौकरी लग गयी, तो अब घर भी बसा लो।
51. घर में गंगा: (बिना परिश्रम की प्राप्ति)-वह न तो पढ़ने में तेज है और न उसने कोई दौड़-धूप ही की, फिर भी उसने ऐसी नौकरी पायी कि घर में गंगा ही बहती है।
52. घास छीलना: (व्यर्थ काम करना)-तुम तो रात-दिन पढ़ते थे, फिर भी फेल हो गये, क्या घास छीलते थे?
53. चार दिन की चांदनी: (थोड़े दिन का सुख)-संसार का भौतिक सुख चार दिन की चांदनी ही है।
54. चांदी का जूता: (घूस)-आजकल तो सरकारी कार्यालयों में चांदी के जूते के बिना काम नहीं चलता।
55. चांद पर थूकना: (सम्माननीय व्यक्ति का अनादर करना)-महात्मा गांधी की निन्दा करना चांद पर थूकना है।
56. चादर के बाहर पैर पसारना: (आय से अधिक खर्च करना)-जितना कमाते हो, उतना ही खर्च करो, चादर से बाहर पैर पसारना ठीक नहीं।
57. चिराग तले अंधेरा: (अच्छाई में बुराई)-वे तो स्वयं बहुत बडे़ विद्वान् हैं, किन्तु उनका लड़का चिराग तले अंधेरा ही है।
58. छप्पर फाड़कर देना: (बिना परिश्रम के सम्पन्न करना)-जब ईश्वर की कृपा होती है, तो छप्पर फाड़कर ही मिलता है।
59. छक्के छूटना: (बुरी तरह पराजित होना)-कुरूक्षेत्र के युद्ध में भीष्म पितामह के सामने पाण्डवों की सेना के छक्के छूटने लगते थे।
60. जलती आग में घी डालना: (झगड़ा) बढ़ाना या क्रोध बढ़ाना)-रावण के आगे राम की प्रशंसा कर अंगद ने जलती आग में घी डाल दिया।
61. जलभुनकर खाक हो जाना: (क्रोध से पागल हो जाना)-अरे भाई, तुम तो एक छोटी सी बात पर जल-भुनकर खाक हुए जा रहे हो।
62. जीती मक्खी निगलना: (जान बूझकर अशोभनीय काम करना)-उस सज्जन पुरुष के खिलाफ मैं गवाही दूं? मुझसे यह जीती मक्खी नहीं निगली जायेगी।
63. टका-सा मुंह लेकर रहना: